नहले पे दहला

सेठ घमंडी लाल, अपनी इकलौती पुत्री रत्नप्रभा का विवाह रचा रहे थे। वे मारवाड़ी थे तथा दिसावर करने, असम गए थे। वहाँ से अकूत धन कमा कर लौटे थे। मारवाड़ी थे तो बेटी के लिए मारवाड़ी दूल्हा ही ढूँढना था। अपने बराबर के रईस लाला माणिक चन्द, जो बीकानेर के Read more…

कंजूस बनिया

बनिया जात व्यापार में तो निपुण होती ही है, अपनी दान वीरता और कंजूसी के लिए मशहूर जानी जाती है। दानवीरता की तो एक से एक मिसाल मौजूद हैं, भामशाह का नाम किस ने नहीं सुना। कंजूसी में नाम लेना तो अच्छा नहीं लगेगा। अतः यही मान कर चलते हैं Read more…

घमंडी गादड़

एक गादड़ था। वो अपणा चौंतरा [चबूतरा] बनाकर, लीप-पोतकर, साफ-सुथरा राख्या करता। वो इस साफ-सफाई पर घमण्ड करता था व अन्य जानवरों पर अपने चबूतरे की शान-शौकत का रौब मारता था। चबूतरे पर इस तरह अकड़ कर बैठता जैसे राजा के सिंहासन पर बैठा हो और उसकी मंशा यह रहती Read more…

गीदड़ और मोर

एक जंगल में एक मोर और गीदड़ रहते थे। दोनों में बिन बात बेमेल दोस्ती हो गई। मोर को उसके माँ-बाप ने कहा कि यह बेमेल दोस्ती निभेगी नहीं। यह भी बताया कि कहावत है कि “नादां की दोस्ती जी का जंजाल”। लेकिन जैसे चीकले आजकल माँ-बाप की नहीं सुनते, Read more…

पणिहारी और मुसाफिर

किसै गाम में एक बीरबानी रहया करै थी। वा बात बहोत जाणे थी। निरे किस्से कहाणी उसकी जीभ पै धरै रहैं थे। वा बोलण में इतनी चातर थी कि अच्छे अच्छे सयाणा की भी बोलती बंद कर देती थी। एक दिन दोपहर में वा पाणी भरण चली गई। कुये धोरे Read more…

चौधरी की अक्ल

चौधरी की अक्ल: दादा कहानी सुनाने बैठे थे, मोहल्ले के बच्चे उत्सुकता से कहानी आरम्भ होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। दादा बोले, एक गांव में एक कुम्हार था। कुम्हार जहाँ होता है, वहां गधा होना भी लाजमी है। क्योंकि गधे के बिना भला कुम्हार का काम कैसे चल सकता Read more…

महादेव-पारवती

एक बर की बात सै। पारबती महादेव तैं बोल्ली – महाराज, धरती पै लोग्गाँ का क्यूकर गुजारा हो रह्या सै? मनै दिखा कै ल्याओ। महादेव बोल्ले- पारबती, इन बात्ताँ मैं के धरया सै? अडै सुरग मैं रह, अर मोज लूट। धरती पै आदमी घणे दुखी सैं। तू किस-किस का दुख Read more…

बाम्हण अर बाणिया

एक बणिया घणा ऐ मूजी था वा रोज गुवांडा मैं जाकै रोटी खाये करै था अर उसकै घरां किसी बात की कमी नी थी। सारे गुवांड उसतै कतराण लाग्ये। एक दिन उसतै किस्सै नै भी रोटी ना दी। वा भूखा मरदा घरां कान्हीं चाल पड्या। रास्ते मैं उसने एक पीपल Read more…

आपणे की चोट

एक सुनार था। उसकी दुकान के धौरे एक लुहार की दकान बी थी। सुनार जिब काम करदा, तै उसकी दुकान म्हं कती कम खुड़का हुंदा, पर जिब लुहार काम करदा तै उसकी दुकान म्हं तैं कानां के परदे फोड़ण आळी आवाज सुणाई पड़दी। एक दिन सोने का नान्हा-सा भौरा उछळ Read more…

जितने मुँह उतनी बात

एक बार एक वृद्ध और उसका लड़का अपने गाँव से किसी दूसरे गाँव जा रहे थे। पुराने समय में दूर जाने के लिए खच्चर या घोड़े इत्यादि की सवारी ली जाती थी। इनके पास भी एक खच्चर था। दोनों खच्चर पर सवार होकर जा रहे थे। रास्ते में कुछ लोग Read more…