वह Yakshini Story in Hindi एपिसोड -2 वो शिकार करती है ?

Yakshini Story in Hindi कहानी का शीर्षक:- वो शिकार करती है ?

कहानी के प्रमुख पात्र : वो शिकार करती है

जगदीश :- लेखक से बात करने वाला व्यक्ति

लेखक

युग ( लड़के का नाम )

बुड्ढा व्यक्ति ( ट्रैन में सफर करता हुआ )

यक्षिणी:- एक अभिशापित डायन जो अपने शिकार के लिए घूमती रहती है

कहानी का पहला हिस्सा :- जगदीश और लेखक के बीच बातचीत

जगदीश लेखक से पूछता है बताइए ना सर क्या अभिशाप मिला था यक्षिणी को ?

लेखक जगदीश के सवाल का जवाब देते हुए कहता है इसके लिए तुम्हें मेरी किताब का दूसरा भाग का इंतजार करना पड़ेगा उसी में इसका जवाब आपको मिलेगा।

इस बात पर जगदीश जवाब देते हुए कहता है कि किताब बेचने का यह अच्छा तरीका है सर।
लेखक जगदीश के बातों का जवाब देते जो कहता है, वह तो होगी जगदीश आखिर मैं मार्केटिंग करता हूं, मैं एक लेखक हूं, किताब बेचता हूं

और साथ ही साथ में अपने दर्द भी बेचता हूं, बस यह जान लो कि कोई भी इंसान बुरा नहीं होता। उसे बुरा बनाया जाता है तब जगदीश कहता है, मतलब यक्षिणी बुरी नहीं थी? उसे बुरा बनाया गया था है ना सर।

लेखक जगदीश से कहता है मैंने कहा ना मैं तुम्हें अब कुछ भी बताने वाला नहीं इसके लिए तुमने मेरे किताब के दूसरे भाग का इंतजार करना होगा।

बात करते करते लेखक की सिगरेट खत्म होने वाली थी उसमे एक दो ही कश बचा हुआ था।

एक बात

जगदीश फिर हिचकिचाते हुए लेखक से पूछता है, सर बुरा ना माने तो आपसे एक बात पूछूं ? लेखक कहता है तुम नहीं मानोगे जगदीश चलो पूछो क्या पूछना चाहते हो ?

जगदीश कहता है मुझे ऐसा लगता है सर जैसे आप तो यक्षिणी को बहुत करीब से जानते हो। क्या आपने कभी यक्षिणी को देखा है ?

जगदीश की यह बात सुनकर लेखक एकदम चुप हो जाता है उसके चेहरे के भाव देखकर यह लग रहा था

जैसे वह किसी सोच में डूब गया हो, और उसे कुछ ऐसा याद आ गया हो जो हो जगदीश को नहीं बताना चाहता था।

जगदीश लेखक पर दबाव बनाते हुए पूछता है, क्या हुआ सर आप चुप क्यों हो गए? बताइए ना सर क्या आपने यक्षिणी को कभी देखा है क्या आपका कभी यक्षिणी से सामना हुआ है ?

लेखक सिगरेट का आखरी कश लेते हुए जगदीश से कहता है

मेरा यक्षिणी से सामना ही नहीं मैंने तो खुद यक्षिणी के साथ…………. लेखक ने इतना ही कहा था तभी उसका मोबाइल कट हो जाता है

लेखक अपना मोबाइल देखते हुए अरे ये क्या फ़ोन कैसे कट गया लगता है नेटवर्क चला गया।

ये गांव में यही प्रॉब्लम रहती है यार पता ही नहीं कब नेटवर्क आता है और कब नेटवर्क चला जाता है।

इतना कहते ही लेखक कुर्सी के पास रखे वैशाखी को लेकर खड़ा हो जाता है। लेखक लंगड़ा था जिसके कारन उसको चलने में काफी तकलीफ होती थी।

कहानी का दूसरा हिस्सा :- लेखक पे यक्षिणी का हमला : वो शिकार करती है

लेखक ने अभी एक दो कदम ही चले थे कि उसके कमरे की लाइट अपने आप बंद चालू होने लग जाती है।

लेखक कमरे के अंदर लगे हुए बल्ब को देखते हुए कहता है, अरे अब यह लाइट को क्या हो गया अचानक?

देखते ही देखते लाइट पूरी तरह बंद हो जाती है। और कमरे के अंदर चारों तरफ अंधेरा छा जाता है।

इतना अंधेरा कि लेखक को उसके हाथ पैर भी नहीं दिख रहे थे।

लेखक मन ही मन सोचता है यह क्या हो रहा है कहीं वह आ तो नहीं गई? लेखक मन ही मन कहता है,

नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता वह नहीं आ सकती। तभी कमरे का बंध दरवाजा अपने आप खुलता है।

दरवाजे के पास हल्की सी सफेद रोशनी दिखाई दे रही थी लेखक जल्दी-जल्दी अपने वैशाखी के सहारे दरवाजे के पास जाने लगता है।

तभी कोई उसका पीछे से पैर पकड़ लेता है और वह धड़ाम से नीचे गिर जाता है।

उसे कुछ दिखाई नहीं देता है

आह आह मेरा पैर, लेखक धीरे धीरे अपने पैर के तरफ देखने लग जाता है।

पर अंधेरा इतना ज्यादा था कि उसे कुछ दिखाई नहीं देता है। लेखक जैसे ही अपना हाथ अपने पैर पर रखता है तो उसे महसूस होता है कि उसका हाथ किसी और के हाथ से स्पर्श हो रहा है।

लेखक डर जाता है और झट से अपना हाथ अपने पैर से हटा लेता है।

तभी उसे अहसास होता है की किसी ने उसका पैर नहीं पकड़ा हुआ है, लेखक जितनी फुर्ती के साथ रेंगते रेंगते दरवाजे का पास जा सकता था उतनी फुर्ती से जाने लग जाता है।

लेखक अभी दरवाजे के पास पहुंचा ही था तभी दरवाजा अपने आप ही बंद हो जाता है।

थोड़ी देर बाद दरवाजे के बाहर लेखक के दर्द से कहराने की आवाज आने लग जाती है दर्द से कहराते हुए लेखक कहता है कौन हो तुम ?

मैं यक्षिणी तेरी मौत। कुछ देर तक लेखक और यक्षिणी की बातें चलती है लेकिन उन दोनों की बातों की आवाज दरवाजे के बाहर तक नहीं आ रही थी।

कुछ ही देर बाद लेखक की दरवाजे के बाहर एक जोर से चीख सुनाई देती है। यह एक ऐसी चीख़ थी जो दिल को दहला कर रख दे।

अगले पल लेखक का खून दरवाजे से बहकर दरवाजे से बाहर आने लग जाता है।

कहानी का तीसरा हिस्सा :- कहानी का फ़्लैश बैक युग का बूढ़े के बीच बातचीत : वो शिकार करती है

13 साल बाद

ट्रेन अपनी रफ्तार से चल रही थी कहा जाता है कि ट्रेन की रफ्तार रुक जाती है लेकिन हमारी जिंदगी चलती रहती है जब तक कि हमारी सांसे चलती रहती है।

युग जिसकी उम्र 26 साल गोरा रंग चेक शर्ट ब्लैक पेंट पहनकर विंडो सीट पर बैठा हुआ था। अपने कानों में हेडफोन डालकर कहानी सुन रहा था।

कहानी सुनते हुए युग खिड़की से बाहर दिख रहे मेघालय के हसीन वादियों का आनन्द ले रहा था। हसीन वादियों को देखते देखते युग की आँख लग जाती है।

अभी युग की आंख लगी ही थी,, कि उसे एहसास होता है कि कोई उसका हाथ छू रहा है। कोई बार-बार यूग का हाथ पकड़ कर हिला रहा था।

युग बौखलाहट के साथ उठ जाता है जब आँख खोलता है, तब वह देखता है कि उसके सामने एक बुड्ढे का चेहरा था जो बड़ी-बड़ी आंखें करके उसे घूर रहा था।

उस बुड्ढे ने सफेद सी मटमैली धोती पहन रखी थी बुड्ढे की हाथ पैर कपकाप रहे थे युग सोचने लग जाता है पहले तो यह बुड्ढा उसके सामने नहीं बैठा था।

ट्रेन में बुड्ढा

ट्रेन में आसपास की पूरी सीटें खाली थी, अचानक यह बुड्ढा कहां से आ गया युग खुद ही इस सवाल का जवाब अपने मन में ढूंढ लेता है।

और मन ही मन कहता है लगता है मेरी आंख जब लग गई थी तब यह बुड्ढा आकर मेरे पास मेरे सामने बैठ गया था।

युग गुस्सा करते हुए उस बुड्ढे से कहता है यह क्या हरकत है बाबा।

बुड्ढा खांसते हुए कहता है माफ करना बेटा मैं क्या करूं पर मुझे तुमसे कुछ काम था इसलिए तुम्हें उठाना पड़ा।

युग हैरानी के साथ कहता है क्या कहा ! काम था ! आपको मुझसे क्या काम था ?

बुड्ढा कहता है वह बेटा मुझे जानना था कि वक्त क्या हुआ है

यह बात सुनकर युग का दिमाग घूमने लग जाता है और गुस्से के साथ अपने घड़ी में देखते हुए कहता है 11:00 बजने वाले हैं।

बुड्ढा कहता है अच्छा बेटा 1 घंटे के बाद मेरा स्टेशन आ जाएगा इस बात का युग कोई भी जवाब नहीं देता है।

और उस बूढ़े को घूरने लग जाता है बुड्ढा सवाल करता है वैसे बेटा तुम कहां जा रहे हो ?

यूग कहता है बाबा मैं मेंदीपाथर जा रहा हूं। बुड्ढा कहता है मतलब तुम भी मेंदीपाथरजा रहे हो।

युग बुड्ढे के सवाल का जवाब देते हुए कहता है, मतलब बाबा आप भी मेंदीपाथर जा रहे हो।

बुड्ढा कहता है चलो बेटा अब सफर आसान हो जाएगा जब कोई बात करने वाला मिल जाता है ना तो सफर जल्दी कट जाता है।

फिर से बुड्ढे ने युग से सवाल किया

तुम मेंदीपाथार में कहां पर जा रहे हो युग कहता है मेंदीपाथार से 5 किलोमीटर दूर है बंगलामोरा गांव वहीं पर जा रहा हूं।

बुड्ढे के सवाल अभी खत्म नहीं हुए तभी बुड्ढा वापस सवाल करते हुए कहता है, बंगला मोड़ा में कोई तुम्हारे रिश्तेदार रहते हैं क्या ?

युग कहता है नहीं बंगलामुंडा में तो नहीं मेरे रिश्तेदार रोंगतामचा में रहते हैं।

बुड्ढा वापस कहता है बेटा जब तुम्हारे रिश्तेदार बंगलामुंडा में नहीं रहते तो तुम बंगलामुंडा क्या करने जा रहे हो ?

इस सवाल को सुनकर युग खामोश हो जाता है ऐसा लग रहा था जैसे कि उस बुड्ढे ने युग के दुखती रग पर हाथ रख दिया था।

कुछ ऐसा पूछ लिया हो जिसका जवाब जैसे कि वह अपने आप को भी नहीं देना चाहता था।

बूढ़ा अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहता है चलो नहीं बताना है तो मत बताओ। बंगलामोड़ा में कहां रुकने वाले हो बेटा।

ग्रेवयार्ड कोठी

युग बुड्ढे की बात का जवाब देते हुए कहता है,

बंगलामोडा गांव के बाहर जो ग्रेवयार्ड कोठी बनी है ना उसी में रुकने वाला हूँ।

फिर बुढ़े आदमी ने हैरानी से कहा वही अंग्रेजों के ज़माने की कोठी जो कब्रिस्तान पे बनाया गया है।

युग कहता है हाँ वो कोठी।

बुड्ढे ने फिर कहा लेकिन वो तो पिछले 13 सालों से बंद है ना,

युग कहता है हाँ बंद है लेकिन आज जाकर मई उसको खोलूंगा।

बुड्ढा कहता है नहीं बेटा ऐसा मत करना, तुम्हे उस ग्रेवयार्ड कोठी के बारे में नहीं पता क्या ?

युग कहता है क्या नहीं पता आप साफ-साफ कहेंगे क्या कहना चाहते हैं

बुड्ढा कहता है अगर तुम बचपन में यहां रहे हो तो

तुम्हें पता होगा कि यक्षिणी किसनोई नदी के आसपास ही भटका करती थी।

युग उस बूढ़े आदमी के बाद का जवाब नहीं देता है बस उसकी बातों को बड़े गौर से सुन रहा था।

वह बुढा अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहता है।

वह बूढ़ा अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहता है तुम्हें पता है तुम्हें पता है

उस यक्षिणी की एक नहीं दो ठिकाने थे पहला किशनोई और दूसरा ग्रेव्यार्ड कोठी।

युग हैरानी के साथ कहता है क्या कहा ग्रेव्यार्ड कोठी बुड्ढा कहता है,

गांव के लोगों ने यक्षिणी को कई बार ग्रेव्यार्ड कोठी के आसपास भी भटकते हुए देखा था।

हर पूर्णिमा अमावस्या की रात मर्दों के साथ संभोग करके उनके दिल का खून पी के उन्हें मार दिया करती थी।

यूग कहता है इसका मतलब पापा ने मुझे जो बचपन में कहानी सुनाई थी वह कहानी नहीं हकीकत थी।

कहानी का चौथा हिस्सा :- युग अपने अतीत के बारे में सोचने लगता है। :  वो शिकार करती है

बुड्ढा कहता है बेटा किस कहानी की बात कर रहे हो तुम बूढ़े की बात सुनकर योग अपने अतीत में खो जाता है।

उसे याद आता है वह पल जब वह 10 साल का था और अपने पिता से बातें कर रहा था

युग के पिता जवाब देते हुए कहते हैं कुछ नहीं बेटा मैं कहानी लिख रहा हूं, कहानी ?

यूग कहता है पापा मुझे भी कहानी सुनाओ ना !

उसके पिता कहते हैं नहीं बेटा अभी तुम बहुत छोटे हो

अभी तुम यक्षिणी की कहानी सुनकर डर जाओगे, जब बड़े हो जाओगे तब सुनना ठीक है।

युग उदास हो जाता है और कहता है प्लीज पापा बताइए ना मैं नहीं डरूंगा।

और जिद करने लग जाता है

युग के जिद के सामने उसके पिता हार मान जाते हैं और उसे यक्षिणी की कहानी सुनाने लग जाते हैं।

कहानी का पाँचवां हिस्सा :- युग को उसके पिता कहानी सुनाते हुए

युग के पिता कहानी सुनाते हुए कहते हैं

यह जो अपना किशनोई नदी है ना बहुत सालों से यहां पर यक्षिणी डायन रहा करती थी।

युग हैरानी से पूछता है, यह जो बंगलामोडा गांव और रोंगटामोचा गांव के बीच जो किशनोई नदी पड़ती है

उस नदी की बात कर रहे हो पापा,

उसके पिता कहते हैं यह जो यक्षिणी है ना

यह जंगलों वाले या पानी वाले जगहों पर ही रहती है ।

हर पूर्णिमा और अमावस्या की रात को जो मुसाफिर नदी पार किया करते थे उन्हें यह लुभाती थी

अपने रूप जाल में फंसा कर उसे अपना शिकार बनाया करती थी कहते हैं,

यक्षिणी को चमेली और कमल के फूल बहुत पसंद होते हैं, वह हमेशा उसे अपने पास रखा करती थी।

जिन पुरुषों को यक्षिणी अपना शिकार बनाती थी उन्हें पहले उन्हें कुछ खाने को दिया करती थी।

युग अपने पिता से सवाल करता है

वह खाने को क्यों दिया करती थी पापा ?

ऐसा इसलिए बेटा कि वह खाने में कुछ ऐसा मिला देती थी,

जिससे कि खाने वाला पुरुष उसके वश में हो जाता था।

ऐसे ही एक बार एक बार एक पुरुष को अपना शिकार बना लिया

और उसके साथ संभोग करने लग जाती है।

अपने पिता से पूछता है पापा यह संभोग क्या होता है

उसके पिता कहते हैं बेटा अभी आप बहुत छोटे हो

जब आप बहुत बड़े हो जाओगे तब आपको इन बातों का जवाब मिल जाएगा।

युग कहता है ठीक है पापा, आगे क्या होता है

उसके पिता कहते हैं कि संभोग करने के बाद यक्षिणी अपने असली रूप में आ जाती थी,

असली रूप बेहद डरावना होता है इतना डरावना कि जिसे देखकर किसी की भी दिल की धड़कन ठहर जाए।

अपने असली रूप में आने के बाद अपने शिकार का दिल का खून चूस जाती थी।

युग अपने पिता से सवाल करता है ऐसा क्यों करती थी पापा ?

वह अपने पिता से सवाल करते हुए करता है ऐसा वह क्यों करती थी पापा क्या वह बूढ़ी औरत थी

उसके पिता कहते हैं नहीं बेटा वह बुरी औरत नहीं थी बल्कि वह एक अच्छी औरत थी

दूसरे लोग से आए आई हुई एक अप्सरा की तरह !

युग कहता है फिर वह पापा आदमियों के साथ गलत काम क्यों करती थी ?

अभिशाप

उसके पिता कुछ याद करते हुए कहते हैं अभिशाप के कारण बेटा युग कहता है कैसा अभिशाप पापा ?

बेटा वह अभिशाप यह था कि युग के पिता ने बस इतना कहा ही था

बाहर के कमरे से युग की माँ की आवाज सुनाई देती है,

युग बेटा चलो आओ खाना खा लो खाना बन गया है।

मां को कहता है नहीं माँ मुझे अभी खाना नहीं खाना मैंअभी पापा से कहानी सुन रहा हूँ।

युग की मां कहती है तुम्हारे पापा को कहानी लिखने और सुनाने के अलावा भी कुछ आता है क्या !

जब देखो पूरे दिन कहानी लिखते रहते हैं खुद तो बिगड़े हुए हैं ही तुम्हें भी बिगाड़ देंगे,

चलो जल्दी आओ खाना खाने मैंने तुम्हारे लिए खाने की थाली लगा दी है।

बड़े प्यार से युग जवाब देते हुए कहता है नहीं माँ मैं नहीं आ रहा

मैं कहानी खत्म होने के बाद ही खाना खाऊंगा।

माँ गुस्सा करते हुए कहती है लगता है मुझे ही आना पड़ेगा रुको मैं आती हूं।

अचानक युग अपने अतीत से बाहर आ जाता है

जब उसकी आंख खुलती है तो वह देखता है कि वह बुड्ढा उसकी हाथ हिला रहा था

और कह रहा था वह बेटा तुम कहां खो गए ठीक तो हो तुम और यह तुम किससे बातें कर रहे हो

जुड़े का जवाब देते हुए कहता है ठीक हूं बाबा कुछ नहीं हुआ मुझे बूढ़ा कहता है मैं तो डर ही गया था

युग बूढ़े के आंख में देखते हुए कहता है बाबा एक बात पूछनी थी आपसे।

बुड्ढे ने बड़े प्यार से जवाब दिया पूछो बेटा यू कहता है क्या यक्षिणी अभी भी मर्दों का वो शिकार करती है


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