अजीब रात की सच्ची कहानी

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अजीब रात की सच्ची कहानी

आशीष राजन, एक छोटे से गांव के रहने वाले युवक थे। उनकी कई कहानियाँ गांव के लोगों में मशहूर थीं, लेकिन उन्होंने खुद कभी भूत-प्रेत की कहानियाँ मानने का मौका नहीं दिया। उनका मानना था कि ऐसी कहानियाँ सिर्फ डरावनी फिल्मों के लिए होती हैं। परंतु, एक रात, जब वो घर से बाहर जाने के लिए निकले, उन्होंने एक अजीब अनुभव किया।

वह रात की थी, जब चाँदनी की रात में छाया बिना घर से निकले। आसमान में तारे चमक रहे थे और हवा ठंडी बेताबी के साथ बह रही थी। आशीष अपने दोस्त राहुल के साथ गांव की छोड़ी ओर बढ़ रहे थे, जब वे अचानक एक पुराने हवेली के पास पहुँचे।

हवेली बहुत ही डरावनी दिख रही थी। उसकी दीवारें कुछ टूटी-फूटी थीं और छत अंधकार में छिपी हुई थी। आशीष की दिलबरी बढ़ गई, लेकिन राहुल ने उसे बताया कि वो लोगों की तरह अफसोस करते हैं, जो ऐसे कहानियों में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा, “तू डर मत, हवेली खाली होगी। चल, हम अंदर जाकर देखते हैं।”

 

आशीष अचेतन होते हुए भी राहुल के साथ हवेली के अंदर चला गया।

हवेली के अंदर का माहौल भी कुछ अजीब था। आवाज़ नहीं आ रही थी, सिर्फ हवा की सुनसान आवाज ही सुनाई दे रही थी।

वे आगे बढ़ते चले गए और एक बड़े कमरे में पहुँचे, जहाँ पर कुछ पुरानी चित्रित पोती टंकियाँ लगी थीं।

एक विशेष पोती टंकी पर उनका ध्यान गांव की कुछ कहानियों की तरह खिंच लिया। पोती में एक पुराने आदमी की चित्रण था, जो बहुत ही विचित्र और डरावने रूप में था।

राहुल ने वांग में बजने वाली आवाज़ के साथ पूजा करने की कोशिश की, परंतु आवाज़ बंद हो गई और हवेली की सुनसानता में से उसकी आवाज सुनाई दी – “कौन है वह जो मेरे घर में आया है?”

राहुल का दिल दुखने लगा, परंतु उसने उसे अवश्यता से अधिक ध्यान नहीं दिया।

उन्होंने अपने दोस्त को समझाने की कोशिश की, लेकिन आवाज़ फिर से सुनाई दी – “तुम्हारी जानकारी के बिना यहाँ आना स्वागत नहीं है!”

वांग में बजने वाली आवाज़

राहुल ने वांग में बजने वाली आवाज़ के साथ पूजा करने की कोशिश की,

परंतु आवाज़ बंद हो गई और हवेली की सुनसानता में से उसकी आवाज सुनाई दी – “कौन है वह जो मेरे घर में आया है?”

राहुल का दिल दुखने लगा, परंतु उसने उसे अवश्यता से अधिक ध्यान नहीं दिया।

उन्होंने अपने दोस्त को समझाने की कोशिश की, लेकिन आवाज़ फिर से सुनाई दी – “तुम्हारी जानकारी के बिना यहाँ आना स्वागत नहीं है!”

राहुल डर से कांपने लगा

उसने आशीष से कहा, “यहाँ से चलते हैं! यह जगह बहुत अजीब है और मुझे लगता है कि हम अच्छे से नहीं होंगे!”

आशीष ने उसे समझाया कि ऐसी बातें बस मनोबल कम करती हैं

उन्होंने राहुल को मजाक में समझाया कि वो अच्छे से हैं और बस यह सब उनकी दिमागी खलल है।

तभी एक अचानक से आवाज़ आई,

“तुम लोग बिना मेरी अनुमति के मेरे घर में कैसे आ गए?”

उन्होंने मुड़कर देखा, और वहाँ उनके सामने वही पुराने आदमी की चित्रित पोती थी, जिसका आवाज़ आया था।

राहुल की आंखों के सामने सच्चाई थम गई।

उन्होंने आशीष को पीछे धकेल दिया और वह दोनों बड़ी दिशा में बढ़ गए। वे दौड़ते दौड़ते हवेली से बाहर निकल आए और किसी और जगह जाकर रुके।

रात बितने के बाद, जब वे अपने घर वापस आए, आशीष ने राहुल से कहा, “तूने सचमुच मुझे यह अनुभव दिलवा दिया कि भूत-प्रेत कहानियाँ कभी-कभी सचमुच हो सकती हैं। मैंने आज खुद देखा कि डरावनी बातें हकीकत में भी हो सकती हैं।”

इसके बाद, आशीष और राहुल ने वो हवेली कभी नहीं देखी और न किसी को उनके साथ जाने की कोशिश की।

यह घटना उनके लिए एक महत्वपूर्ण सिख हुई कि कुछ चीजें हमारी धारणाओं से बाहर भी होती हैं और हमें उन्हें आत्मसात करने का साहस होना चाहिए

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि जिंदगी में हमें कभी भी अपनी धारणाओं से बाहर निकलकर दुनिया की सच्चाई को स्वीकारने की कोशिश करनी चाहिए,

क्योंकि वक्त-वक्त पर हमें कुछ अजीब और अनूठे अनुभव हो सकते हैं, जिनसे हमें सीख और अनुभव प्राप्त हो सकता है।

 


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