भूतिया रास्ता : प्रतिदिन की भागदौड़ और शहर के शोर शराबे में खोए दिनों के बाद, मोहन अकेले घर की तरफ बढ़ रहा था।
उसकी बातें और चीख़ें बिना किसी को भी सुनाई नहीं देतीं। उसके मन में अनगिनत सवाल थे और उसके आस-पास का सब कुछ बेकार लग रहा था।
उसे लगता था कि ज़िन्दगी किसी उद्दीपक फ़िल्म के तरह बहुत यादें और कुछ भयानक भूत प्रेत की कहानियों से भरी हुई थी।
भूतिया रास्ता : एक रात, मोहन ने एक नया रास्ता घर वापस जाने के लिए चुना।
यह एक अनजान और सूरमा सड़क थी, जिसमें कम लाइट थी और पेड़ों की छांव ने उसे और डरावना बना दिया।
अचानक, उसने ज्ञात रास्ते के विकल्प पर फिर से सोचा, लेकिन जीवन ने उसे एक नए अनुभव के लिए मजबूर किया।
रास्ते पर चलते वक्त, एक वातावरण उसे अजीब सी लगने लगी। वायु शांत थी और एक अजीब सी बदबू भरी थी।
उसका मन धीरे-धीरे उस वातावरण के डरावने गहरायियों में खो गया।
रास्ते पर बेजान दिखने वाले पेड़-पौधों की छांव से उसका हृदय दोबारा बेचैन हो उठा।
अचानक, उसने अपने आस-पास की छांव को नुकसान पहुँचाने वाली भयानक देखा।
उसे भूतों और प्रेतों की कहानियाँ बहुत पसंद थीं, लेकिन वो कभी भी उन्हें सच मानने की कोशिश नहीं करता था।
विचार करते ही, उसने खुद को समझाने की कोशिश की, “मोहन, ये सब तो सिर्फ कहानियाँ हैं।
वो भूत वाली कहानियाँ ना ज़्यादा डरावनी होती हैं।”
लेकिन जब उसे वातावरण के विकल्प का ध्यान ग़ईस, उसके हृदय की धड़कनें तेज़ हो गईं।
रास्ते के दोनों ओर एक अजीब सी आवाज़ गूंज रही थी।
उसे लगा कि उसका मन खुद को धोखा दे रहा है, क्योंकि ये तो सिर्फ कहानियाँ थीं।
प्रत्येक कदम पर उसका मन विचलित हो रहा था।
उसे लगता था कि उसे रास्ते पर जाना चाहिए, लेकिन कुछ बुरा होने वाला है।
उसके मन में एक भयानक विचार आया कि शायद वो अब तक एक कथा नहीं है, लेकिन वास्तविकता है।
रास्ते पर चलते वक्त, मोहन ने दिखाई देने वाली किसी भी वस्तु को एक डरावने भूत के रूप में सोचना शुरू कर दिया।
उसका दिल धड़क रहा था, और उसकी ध्वनि उस शांत रात की भयानक छाया में गुम हो गई।
जब उसने रास्ते की एक कुहरी से गुज़रना चुना, तो एक भूतिया आवाज़ उसे अपने नाम बुलाई, “मोहन…मोहन…”
धड़कनें उसके कानों में बजने लगी। उसका शरीर ठंड से काँपने लगा और उसे एक दिव्य शक्ति का अनुभव हो रहा था।
उसे लगता था कि वो भूतों की कहानियों में डूब रहा है, और एक भयानक सच से मुकाबला कर रहा है।
रास्ते के दोनों तरफ जंगल की गहराईयों में उसे विचारों और अनगिनत विचारों से भरी ख़ाली दिख रही थी।
वह अपने आस-पास की भयावहता से जूझ रहा था।
धीरे-धीरे, उसकी धड़कनें कम होने लगीं। उसे एक दिव्य शक्ति के साथ एक संयमित भाव आया।
वो सोचना बंद कर दिया और विचारों की विचलित वृत्ति से अपने आस-पास की जगह को अच्छे से देखने लगा।
एक हलकी सी आवाज़ उसके नाम को फिर से बुलाई, “मोहन…मोहन…”
मोहन उस भूतिया आवाज़ के पीछे का रास्ता खोजने लगा।
उसे अचानक एक छोटी सी हवा की तरह लगा, जो उसे उस रास्ते के बारे में बताने के लिए उसे अभिसारित कर रही थी।
धीरे-धीरे वह अनजान रास्ता खुलते में आने लगा। उसे अचानक एक तालाब दिखाई दी।
उस तालाब के पास एक अति ख़ूबसूरत मंदिर था।
उसे यह लगता था कि उसका मन उसे कुछ कह रहा है, लेकिन उसकी धड़कनों को विकल्प धरा रही थीं।
मंदिर के बाहर एक पुरानी पुस्तक खड़ी थी, जिसमें कुछ भूतिया कहानियाँ लिखी थीं। मोहन उसे खोल कर देखने लगा।
जब उसने पुस्तक को खोला, उसे वह अजीब सी बदबू फिर से आई।
पुस्तक की पन्नों से भूतों की कहानियाँ लगने लगीं।
पढ़ते पढ़ते, मोहन ने एक कथा पढ़ी, जो उसे भूतों के सच और उनके अस्तित्व के बारे में बताती थी। वो कथा उसके दिल को छू गई।
वो कथा एक भूतिया आत्मा की थी, जो एक समय एक व्यापारी था।
उसे अपने क़रीबी मित्र द्वारा धोखा मिला, और वह एक अत्याचारी मौत का शिकार हो गया।
उसके बाद, उसकी आत्मा भयावह तरीके से सिर्फ अपने धोखेबाज़ मित्र के भयावह सपनों में आती रही।
वो भूतिया आत्मा अनाथ हो गई थी, और उसे अपनी नींद की ख़ातिर बुलाते रही।
उसे शांति का वक्त नहीं मिला था, और उसका मन अन्त तक विकल्पों के आधीन रह गया था।
मोहन जिस कथा को पढ़ रहा था, उसे एक नया अनुभव हुआ।
उसे लगा कि ये भूतिया कथा एक असलीता थी, और वह भूतों की कहानियों को केवल कहानियों नहीं मानना चाहिए।
धीरे-धीरे, उसके आस-पास की भयानक भूत-प्रेत की छायाएँ ग़ायब होने लगीं।
मोहन ने पुस्तक को बंद किया और एक अनजान ख़ुशी की भावना उसके हृदय को भर दी।
मोहन ने अपने आस-पास के सब कुछ अच्छे से देखा।
रास्ते पर फिर से शांत भयानक वातावरण की एक भावना उसके मन को छू रही थी।
कुछ ही कदमों में, मोहन ने अपने आस-पास के सभी भयानक दृश्यों के साथ सुलह कर लिया।
वो भूतों के बिना वाली दुनिया में पहुंच गया था।
रास्ते के अनजान भाग को पार करते हुए, मोहन के मन में जीवन की एक नई रौनक आ गई।
उसे अब भूतों की कहानियों का विचार नहीं करना था, बल्कि उसे अपनी ज़िंदगी के साथ आगे बढ़ना था। – भूतिया रास्ता
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