बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक पुराना हवेली थी , जिसे लोग डर के कारण छोड़ चुके थे। इस हवेलि की वजह से उस गांव में भूतों की कहानियां चर्चा में रहती थी।
एक बार गांव में एक युवक आया जिसका नाम राहुल था। वह बहुत ही उत्साही और डरपोक था। उसे भूतों की कहानियों में रुचि थी, लेकिन उसे खुद भूतों से बहुत डर लगता था।
एक दिन, राहुल के दोस्त ने उसे एक पुरानी भूतिया हवेली के बारे में बताया। यह सुनकर राहुल की रुचि और उत्साह बढ़ गए। वह दोस्तों के साथ उस हवेली का पता लगाने का निर्णय लिया।
रात को जब सब लोग सो गए, राहुल और उसके दोस्तों ने हवेली की ओर यात्रा शुरू की। रास्ते में वे एक पुरानी चट्टान पर पहुंचे जहां सुनसान और डरावनी वातावरण था।
चट्टान के पास पहुंचते ही राहुल को लगा कि कुछ अजीब सी आवाज़ आ रही है। उसने अपने दोस्तों को बुलाया और सभी ने बातचीत रोक दी।
थोड़ी देर बाद उन्होंने एक भयानक रोने की आवाज़ सुनी। राहुल और उसके दोस्त बहुत डर गए, लेकिन वे अपने आप को सामेटकर बातचीत करने का प्रयास किया।
आवाज़ और रोने की आवाज़ बढ़ती गई और एक अंधेरे से भरे कोने से एक भूत नजर आया। राहुल और उसके दोस्तों ने डर के मारे चिल्लाते हुए भागने की कोशिश की।
परंतु, भूत ने उन्हें पकड़ लिया और कहा, “मुझसे डरो मत, मैं एक प्रेत नहीं हूँ। मैं यहां अकेले ही रहता हूँ क्योंकि मेरा घर तोड़ दिया गया था। कृपया मुझे जाने दो और मेरी आवाज़ को उन्नत करने में मदद करो।”
राहुल और उसके दोस्तों का डर कम हुआ और उन्होंने भूत की आवाज़ को उन्नत करने के लिए एक विशेष यंत्र बनाया। उस यंत्र की मदद से भूत की आवाज़ बढ़ी और सभी लोग उसे सुन सकते थे।
यह सुनकर अन्य गांव के लोग भी उस भूत की मदद करने आए और उसे एक नया घर दिया। भूत धन्यवाद देते हुए उनकी बातचीत से गांव में एक नया दिन आया।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमें डर से नहीं बल्क सहायता के लिए तैयार रहना चाहिए। जब हम एकजुट होते हैं, तो हम अद्वितीय चीज़ों को सामर्थ्यपूर्वक कर सकते हैं और किसी भी समस्या को आसानी से हल कर सकते हैं।
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